वौ कौन थे जिन्होंने मस्जिदे जि़रार बनाकर अलग जमात ,अलग मसलक , अलग $िफरक़े की बुनियाद रखी थी?
- वो कौन थे जिन्होंने शियाने अ़ली $िफर$का बनाकर हज़रते अ़ली और हज़रत आयशा रजि़. में जंग करा दी थी।
- वो कौन थे जिन्होंने हज़रते हुसैन रजि़. को कहा था कि:-या हुसैन …….हम तुम्हारे साथ हैं? लेकिन रातों रात जिसमें पॉवर देखी उसके साथ हो गये?
- यज़ीद को वंशवाद के इल्ज़ाम में लानत करने वाले , वंशवाद के आधार पर ही काँग्रेस को वोट देते हैं , वंशवाद के बिना पर ही विधायक के लिये वोट करते हैं लेकिन फिर भी यज़ीद को गालियाँ देते हैं तो क्या कल $कयामत के दिन यज़ीद तुम्हारा दामन नहीं पकड़ेगगा के तुमने भी तो वंशवाद पर वोट किया था???
$िफलिस्तीन के राष्ट्रपति अब्बास साहब को ये क्यों कहना पड़ रहा है कि हम्मास $िफलिस्तीन का प्रतिनिधित्व नहीं करता है ।़
क्या शायद इसलिए के हम्मास $िफलिस्तीन के गाज़ा के एक राजनीतिक संगठन है, या इसलिए के उसका संयोजक ब्रिटेन /पशेपुश्त इज़राईल $खुद/ है। असल में जो दिख रहा है ,वो ही सच हो ये ज़रूरी नहीं, क्योंकि हो कुछ रहा है और दिखाया कुछ जा रहा है ।़ अब एक नये संठन का नाम सामने आया है संस ऑ$फ अबु जंदाल
**–उधर इज़राईल का ये बयान भी आया है के गाज़ा का इन्तेज़ामी अख़्ितयार $िफलिस्तीन को नहीं देंगे ।
मालूम हो कि इससे पहले हम्मास के हाथ में था गाज़ा का इन्तेज़ामी इख़्ितयार
………..इज़राईल के हमले $गाज़ा पर ही केन्द्रित क्यों हैं , जो हम्मास के हमलों के बहाने पूरे $िफलिस्तीन पर $कहर ढा सकता था वो $िफलिस्तीन के वैस्ट बैंक को भी नज़र अंदाज़ कर रहा है और अब सि$र्फ गाज़ा पर यकसू हो गया है । आ$िखर क्यों???
**–हालांकि गाज़ा पर हमलों के चलते इज़राईल को लगी 55 अरब डालर की चपत,उसके तकऱीबन 10000 लोग मारे गए हैं , 350 टैंक उड़ा दिए गए हैं।
हम्मास को तो यहूदी इज़राईली हल्के में लेते थे फिर $फलस्तीन के वो कौन से लड़ाके हैं जो ज़ालिम इज़राईलियों पर इताब ए हलाही बनकर टूट पड़े हैं कुछ यहूदियों का कहना है के वो दिखते भी नहीं ,उनको लगता है कि वो जिन्नात हो सकते हैं ,वो कौन हो सकते हैं जिनकी छोटी छोटी मिज़ाइलें इज़राईल के बड़े बड़े बख़्तरबंद टैंकरों का काम तमाम कर देती हैं , यानी हम्मास , हिज़बुल्लाह , हूती के अलावा भी ऐसे जंगजू मुजाहिद हैं जिनका नाम नहीं चल रहा है , मीडिया में शो नहीं है मगर अपना काम ब खूबी अंजाम देकर इज़राईल को न सि$र्फ नाकों चने चबाने पर मजबूर कर दिया है बल्कि उस $फैसलाकुन जंग और $फतह का आगाज़ भी है जिसकी तर$फ रहबरे इंसानियत हज़रत मुहम्मद स्वल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने निशानदेही की थी जिसे *राइटपथ* के 14 अक्टूबर के शुमारे में संपादकीय शाया किया गया था:– ** फ़तह फि़लिस्तीनियों का मुक़द्दर है! **–
रसूलअल्लाह स्वल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इरशाद फऱमाया :-
मेरी उम्मत का एक गिरोह कय़ामत तक दीन पर साबित क़दम और दुश्मन पे ग़ालिब रहेगा, उनसे इ़िख़्तलाफ़ करने वाले उनका कुछ न बिगाड़ सकेंगे, सिवाय इसके कि उन्हें कुछ मआशी तंगदस्ती (जान माल का नुक़सान) का सामना करना पड़े, यहां तक के अल्लाह तअ़ाला का हुक्म आ जाएगा, और वह उसी हालत पर होंगे।
सहाबा ने अर्ज़ किया :-ऐ अल्लाह के रसूल! वह कहां होंगे ?
आप स्वअव. ने फरमाया वह बैतूल मकदिस और उसके इर्द-गिर्द अतराफ़ में होंगे।* (मुसनद अहमद : 12494)
दुनिया आज़माइश की जगह है , अल्लाह रब्बुल अ़ालमीन कुछ को देकर आज़माता है तो कुछ को लेकर आज़माता है कि कौन कितना $फरमाबरदार है ताके वापसी पर उसे उसके ही आ़माल का बदला दिया जाए । सारे इंसान आदम की औलाद हैं इसलिए आदमी कहलाते हैं । आदम की बीवी हव्वा पर मस्तूरातें /महिलाएँ/ औरत कहलाती है। आदम अल्लाह के मुस्लिम /$फरमाबरदार /आज्ञाकारी / बंदे थे , उनके पस एक संदू$क था जिसमें कुछ खा़स सामान था उसे संदूक़ को ताबूते सकीना कहते हैं। जिसपर मुस्लिमों का ह$क है। यहूदी इसी ताबूते सकीना को पाने के लिये और हैकल सुलेमानी /मस्जिदे अक़्सा/ पर $कब्ज़े के लिये ही, उन्हीें $फलस्तीनियों का नरसंहार और ज़ुल्मोसितम कर रहे हैं जिन्होंने उन्हें उनके बुरे दौर में पनाह दी थी,जबकि यहूदियों के $खूनी इतिहास व हैवानियत और मक्कारियों व साजि़शों की वजह से पूरी दुनिया उन्हें धिक्कार चुकी थी और हिटलर ने उन्हें मिटा दिया था ता$कतवर देश उन्हें ढूँढ ढूँढ कर मार हे थे ।़ $यहूदियों को ब्रिटेन ने थोड़ी सी जगह क्या दिलवा दी ये फिर हैवानियत/आतंक/ पर आ गए ।
नबी करीम स्वअव. ने $फरमाया:- $कयामत उस वक़्त तक $कायम न होगी जब तक यहूदी से तुम्हारी जंग न हो जाए और वो पत्थर भी उस वक़्त /अल्लाह तअ़ाला के हुक्म से/ बोल उठेंगे जिसके पीछे यहूदी छिपा हुआ होगा कि ऐ मुस्लिम।़ ये यहूदी मेरी आड़ ले कर छिपा हुआ है इसे आकर $कत्ल कर डाल। /सही बुखाऱी हदीस नं. 2926/
अल्लाह ने $कुरआन में इन्हें ना$फरमान कौ़म कहा है और ईमान वालों से कहा के :-तुम ही $गालिब रहोगे,अगरचे तुम मोमिन हो। **– अब हमारी गुज़ारिश ये है कि हम भारतवासी उन $िफलिस्तीनियों के ह$क में हैं जो मज़लूम हैं और ज़ालिम इज़राईल के $िखला$फ इसलिए हैं क्योंकि वो $गासिब /भूमा$िफया/,नरसंहारवादी,आतंकवादी है यानी मानवता /इंसानियत/ का दुश्मन है। लेकिन हमें आँख मूंदकर हर किसी पर ऐतबार नहीं करना चाहिये बल्कि $कुरआन व सुन्नते रसूल की रौशनी और सहाबा इकराम की सीरत की रौशनी में देखना चाहिये के कौन हमारे दीन का हमदर्द रहा है और किसने धोकेबाजि़याँ की हैं ।़ फिर मोहतात रहें और दुआएँ करते रहें के अल्लाह मस्जिदे अक्सा की हि$फाज़त $फरमा।़—
- डॉ. शेख अ़ब्दुल्लाह
बिन अ़ब्दुल अज़़ीज़