तो $िफर अपने आप पर गौऱ कर लीजिये के $िफलिस्तीनियों की $िफक्र में आपने $फर्ज़ नमाज़ों के अलावा कितने नवा$िफल बढ़ा दिए, जैसे खा़स तौर से तहज्जुद में उठकर उनके लिये दुआएँ करना।
क्या आपने कुछ रोज़े रखे कि इज़राईली ज़ालिमों से मुकाबला करने वालों के लिये ब हालते रोज़ा खा़स तौर से इफतार के वक़्त आप दुआएँ करें ?
क्या आपके खाऩ पान में या रहन सहन में या तफरीहात , शादी ब्याह, तकरीबात, में कुछ फर्क़ आया।
अगर अऱब लापरवाह हैं और वो मुजरिम हैं तो आप को परवाह है इसका नुमाया अ़मल आप में दिख रहा है क्या?
क्या आप इज़राईली या उसको सपोर्ट करने वाले लोगों के प्रोडक्ट्स को खरीद नहीं रहे हैं,???बच्चों को ऐसी चीजें़ अगरचे आप दिला रहे हैं तो आप इज़राईल को ही सपोर्ट कर रहे हैं फिर अरबों से शिकायत का आपको क्या हक है??
फलस्तीनियों की $िफक्र में क्या तबदीली आई आपके और आपके बच्चों में, क्या आप अपने बच्चों को उनकी तरह तवक्कल और मुजाहिदा सिखा रहे हैं या बा….बा ब्लैकसिप हैव यू ऐनी ऊल….जलूल ही चल रहा है??? बर्थडे मनाना अब भी आपके यहाँ $फर्जे़ ऐन समझा जा रहा है????
फलस्तीनी तो सिर्फ और सिर्फ *मुस्लिम* की हैसियत से मस्जिदे अक़्सा , और हैकल सुलेमानी की हि$फाज़त के लिये कुर्बानियाँ दे रहे हैं , क्या आप भी अपनी पहचान सिर्फ *मुस्लिम* बनाए हुए दीन का काम कर रहे हैं या अलग पहचान बनाकर अपनी जमात, मसलक, $िफरक़े के काम पर ही लगे हुए मुन$िफ$कों की तरह जि़ंदगी गुज़ार रहे हैं फिर भी अऱबों को ही निशाना बनाना आपके लिये बचने का जवाज़ है???
जिनपर हमें भरोसा है और जिनको हम मुसलमानों को हीरो मान रहे हैं वो तो 1400 साल से आज़माए जा रहे हैं कि हमेशा धोका दिया, सहाबाओं की बेइज़्ज़ती और बेहुर्मती की , हज़रते आयशा रजि़अल्लाहु अन्हा को कितना बुरा बुरा कहते हैं जो खबीस , हमें वो ही इस्लामी हीरो नज़र आते हैं? और जिनके बारे में अल्लाह के रसूल ने बेअ़दबी न करने का हुक्म दिया उन्हें ही हम निशाने पर लेते हैं जबकि बारहा ये साबित हो चुका है कि ईरान और तुर्क ने बयानबाज़ी और उकसावे से इस्लामी म$कासिद को नु$कसाने ही पहुँचाया है। क्या उन्हीं में से कुछ ने हरम में इमामत हासिल करके अल्लाह के रसूल की $कब्रेमुबारक को नुकसान नहीं पहुँचाया था। क्या इन्हीं में से कुछ हर बार हज के दौरान हंगामा करके वहाँ भगदड़ करवाते और हाजियों को नुकसान पहुँचाते हैं। आप सहाबा इकराम रजि़. को गालियाँ देने और दीन में बिगाड़ करने वालों के साथ भी हैं और $िफलिस्तीनियों के साथ भी ये कैसे हो सकता है??? तुर्क ने अपने यहाँ अमेरिका को एयर स्पेस दे रखा था जहाँ से इज़राईल $िफलिस्तीनियों पर हमला करवा रहा था जिसे तुर्क के ईमानवालों ने रंगे हाथों पकड़ा और उसके $िखला$फ वहाँ एतिजाज करके तुर्क हुकूमत को मजबूर किया।
अल्लाह सबकुछ जानता है , उसको सब का इल्म है हम तो आँखों देखी पर ही भरोसा करते हैं लेकिन अल्लाह अपने दीन के शअ़ार की हि$फाज़त के लिये जिससे चाहता है काम लेता है , और कुछ मरहलों से वो ईमानवालों का इम्तिहान भी लेता है। सूरए मुदस्सिर के मुताबिक़ अल्लाह का लश्कर का$फी है। जैसा के अबाबील ने काबा /बैतुल्लाह/ को ढाने आए अबराहा के लश्कार को नेस्तोनाबूद कर दिया। और आज जो हमारे $िफलिस्तीनी भाई हैं अगरचे बहुत मज़लूम हैं बहुत मजबूर हैं ,उनपर बहुत ज़ुल्मोसितम हो रहा है , उनका उस टुकड़ी से कोई ताल्लु$क नहीं जो हमास की है या अल$कस्साम बिग्रेड, या हिज़बुल्लाह से ये लोग तो सि$र्फ गाज़ा $िख़त्ते के लिये लड़ रहे हैं , हम्मास गाज़ा का पॉलिटिकल ग्रुप है जिसे ब्रिटेन ने ही बनवाया था। मीडिया इन्हें ही जान बूझकर उछाल रहा है लेकिन असल में जो इज़राईल को नाकों चने चबवा रहे हैं वो नज़र नहीं आ रहे वो ही असल $िफलिस्तीनी , असल इस्लामी मुजाहिद हैं, ये वो लोग हैं जिन्होंने ज़मीन के नीचे सुरंगे /टनलें/ बना रखी हैं जो त$करीबन 1500 टनलें हैं।
…………..तो राज़ क्या है /सुरंगों/ टनलों का ??
जो ऐसी भूल भुलैया हैं जिसमें नया आदमी घुसेगा तो उसका निकलना बहुत मुश्किल या नामुमकिन हो जाएगा। लेकिन उन लोगों को सब मालूम है। क्योंकि ये अल्लाह के रसूल की एक हदीस है बा $कायदा कि जब आ$िखर ज़माना आ जाए तो मेरा ये मशवरह है $फलस्तीन वालों से के वो ज़मीन के अंदर अन$फा$क /सुरंगे/ बना लें। ………इस हदीस पर अ़मल करते हुए त$करीबन 20 या25 साल पहले उन्होंने सुरंगे बनाने का काम शुरू किया था , तो पूरे $िफलिस्तीन ही नहीं बल्कि इसराईल के अंदर उसके नीचे भी इनकी टनलें /अन$फा$क/ सुरंगे फैली हुई हैं। वो कहीं से भी निकलते हैं और ज़ालिम हमलावरों को मार के चले जाते हैं उन्हें पता ही नहीं चलता हुआ क्या है ये??? वो मसझ रहे हैं कि जिन्नात ये काम कर रहे हैं जिसकी $खबरें भी इज़राईलियों के हवाले से आ रही हैं। ……….तो अल्लाह तअ़ाला ने ये ऐसी मदद की है जैसा कि उसने अबाबीलों के ज़रिये से मदद की थी, और काबे की हिफाज़त की थी। आ$िखर उनके छोटे-छोटे लांचर, छोटे हथियार सुपर पॉवर को कैसे खदेड़ पा रहे हैं कैसे उनके टैंक उड़ा रहे हैं , ये बयानबाज़ों की मदद से नहीं बल्कि सि$र्फ और सिर्फ अल्लाह तअ़ाला की मदद व करम से ही हो पा रहा है। बयानबाज़ों का हाल तो ये है कि पहले इज़राईल पर हमले करके उसे उकसाते हैं लेकिन जब इज़राईली मारे जाने लगते हैं तो सीज़ $फायर , सीज़ $फायर चिल्लाने लगते हैं । …..हमारे भारत के प्रतिनिधित्व को दाद देना पड़ेगा के वो खुलकर $िफलिस्तीन के साथ हैं और इज़राईली हमलों की कड़े शब्दों में निंदा कर रहे हैं।़।़