तारीख * 1 ऑक्टोबर- 2023, दिन- रविवार
- समय * सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक
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एवान-ए-ग़ालिब भवन, ग़ालिब इंस्टीट्यूट, माता सुंदरी लेन, नियर नई दिल्ली
बमुकामः- रेलवे स्टेशन, एवं नियर ITO एण्ड मंडी हाउस, मेट्रो स्टेशन, नई दिल्ली-110002
उद्घाटन सत्र एवं प्रथम सत्र:- सुबह 10:00 बजे से दोपहर – 02:00 बजे तक
उद्घाटकः आली जनाब एस. एम. मुशरिफ (लेखक एवं पूर्व आई. जी. महाराष्ट्र पुलिस)
मुख्य अतिथिः हज़रत अल्हाज पीरजी हाफ़िज़ हुसैन अहमद साहब कादरी
(मुजदीदी विनित्यन- महना इन्नामिया कुन्जानिय फैजानका
यमुना नगर हरियाणा एवं सत्य इंडिया मुर्ति बोर्ड
जनाब एम. डब्लू. अंसारी (पूर्व डीजीपी, सल्लीनगर)
प्रो. इंतज़ार नईम (प्रसिद्ध इतिहासकार, नई दिल्ली) मुफ्ती शाहनवाज अजहरी (राष्ट्रय महासचिव-राष्ट्रीय मुसिलम मोर्चा, नई दिल्ली)
वामन मेश्राम साहब
- विशिष्ट अतिथि –
इंजी. बैंगाद मकमूह साह
हजरत मौलाना डॉक्टर अब्दुल राशिद नदवी मदनी दॉ. अलीम खान फालकी एड. सनोबर कुरेशी जनाब के. के. सुहैल अहमद मुफ्ती फहीमुद्दीन उमरी) मुफ्ती सलीम अहमद क़ासमी साकरसमुफ्ती अब्दुल गफ्फार नवी जनाब सिराजुद्दीन अंसारी अलहाज मोहम्मद मोहिबुद्दीन आलम) इंजी. राहत सुल्तान जनाव मोहम्मद अली पटेल
हजरत हिफ्जुल रहमान अजहरी हजरत मौलाना मुमताज अहमद कासमी सैयद अब्दुल कदीर)
राष्ट्रीय मुस्लिम मोर्चा के बुनियादी मकसद
- मुसलमानों की समाजी और सियासी जड़ों को मजबूत करना।
- क़ौम के हक की लड़ाई लड़ने के लिए क़ौम के अन्दर समाजी बेदारी और फिक्र पैदा करना।
- सर जमीन-ए-भारत से कौम के बुजुर्गो की (Golden History) और कुर्बानियों से कौम
को वाकिफ कराना।
- मजलूम बहुजनों (OBC, SC, ST) और मसावात को मानने वाले मज़हब (बुद्धिस्ट, ईसाई,
सिक्ख, लिगायत, जैन) और मुसलमानों के बीच इत्तेहाद और भाईचारा कायम करना। 5. खुद कफील (आत्मनिर्भर) बावकार तंज़ीम, तहरीक और समाजी, सियासी, अकलियत, कयादत पैदा करना। 6. जनसंख्या के अनुपात में शासन-प्रशासन में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जद्दोजहदकरना।
- मुसलमानों पर सांप्रदायिकता के आधार पर हो रहे जुल्म को रोकने के लिए कम्युनल वायलेन्स प्रीवेशन एक्ट लागू करवाने की लड़ाई लड़ना। 8. क्रौम के अंदर समाजी, तारीख्खी और नजरियाती तरबियती और फिक्री कैडर तैयार करना।
अध्यक्षताः- मा. वामन मेश्राम साहब
जनाव चाँद मोहम्मद
अध्यक्ष भात मुक्ति मोर्चा एवं संस्कीय मुस्लिम मोर्चा, नई दिल्ली)
- एक जालिम का विकल्प दूसरा जालिम नहीं हो सकता अर्थात सभी मजलूमों में इत्तिहाद किए बगैर मुल्क और कौम की तरक्की मुमकिन नहीं। -गंभीर चर्चा
- भारत के मुसलमानों में देशव्यापी सामाजी तंजीम की कमी आज सबसे बड़ी समस्या है। 3. भारत में बरशिप एक्ट- 1991 ( Places of Worship Act, 1991) होने के बावजूद मुसलमानों के इबादतगाहों और वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर नाजायज तरीके से कब्जा करना व नष्ट करना शासक जातियों का असंवैधानिक षड़यंत्र है।
दूसरा सत्रः- दोपहर – 03:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक
5. ‘मुसलमानों के पुरखे हिंदू थे!’ ऐसा RSS चीफ मोहन भागवत का बयान कितना सही कितना झूठ?-एक मंथन
6. ‘बम फोड़े ब्राह्मणों ने सूली पर चढ़ाए बेकसूर मुसलमान’ महाराष्ट्र के पूर्व आईजी एस. एम. मुशरिफ साहब का दावा। – एक विश्लेषण
वक्तागण –
मुफ्ती एजाज़ शकीब उमरी (रीट) एड. शाकिर कुरेशी ( हज़रत मौलाना गुलाम रसूल क़ादी जनाब जकारिया मौला (अप्रा जनाव मोहम्मद इरशाद (चर्चा) जनाब फिरोज बशीर खान जनाब महबूब आलमक्ष प्रभारी राम बिहार) जनाब मोहम्मद मकसूद आलम कार्यकारी ि सैयद आसिफ़ हसनो हज़रत मौलाना मोहम्मद अहमद्दे
मोहतरम हज़रात,
अपील
जो कौम अपने वक्त और हालात पर संजीदगी व गहराई से गौर व फिक्र नहीं करती, जिंदगी की सतही लज्ज़तों व खुशफहमियों मेंग्राफिल व मसरूफ रहती है, अपने खिलाफ मुखालिफों की खुले मंचों से चल रही सरगर्मियों व जमींदोज चल रही साजिशों से लापरवाही बरतती है और वक्त रहते हालात को गहराई से समझ कर अपने हकमे करने की कोई हिकमत अख्तियार नहीं करती वह कौम तदरीजन पहले अपना वजन व वकार खो बैठती है और फिर अपना वजूद, कुछ ऐसा ही हाल आज हम भारतीय मुसलमानोंका हुआ है। हमें पता ही नहीं कि हम किस तारीखी मोड़ पर खड़े है जिसका खामियाजा आने वाली नस्लों को बड़े पैमाने पर उठाना पड़ेगा।
आज भारत में चंद मुट्ठी भर शासक जातियों का देश की कार्यपालिका, न्यायपालिका, व्यवस्थापिका और मीडिया पर अनियंत्रित रूप से कब्जा है। अगर हम बात करें भारत के मुसलमानों तो 1947 के पहले शासन प्रशासन में 33 फिसदी भागीदारी हुआ करती थी लेकिन आज 1.5 फिसदी ही रह गई है। जस्टिस राजेन्द्र सच्बर की रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा दौर में मुसलमानों की हालत SC और ST से भी सामाजिक, शैक्षिक, राजनैतिक और आर्थिक दृष्टि से बदतर हो गई है। देश में नफरतवादी तंजीमों के जरिये OBC, SC, ST के दिमाग की जेहनसाजी करके इस्लाम और मुसलमानों को लेकर बड़े पैमाने पर गलतफैमियां पैदा की गई। भारत में असल लड़ाई दो नस्लों और दो विचारधारा के बीच में है। आज राष्ट्रीय मुस्लिम मोर्चा भारत में OBC, SC, ST, मायनारिटी की सबसे बड़ी तंज़ीम “बामसेफ एवं भारत मुक्ति मोर्चा” के साथ
मिलकर जमीनी सतह पर OBC, SC, ST, मायनारिटी के दिमाग में नफरतवादी संगठनों के द्वारा पैदा की गई गलतफहमियों को खत्म करने की समझ पैदा करना और उन्हें समझाना कि जैसे सबका मालिक एक है तो सबका शैतान (दुश्मन) भी एक है। अफसोस अपने मुल्क में हम अपने मुसलमान होने की जिम्मेदारी न हम जान सके, न हम समझ सके और न ही हम निभा सके। यह
नाकामी ही हमाने सब मसाईल की असल जड़ है। इस्लाम का असल समाजी एजेंडा कमज़ोर को मजबूत करना, जलील कसे इज्जत देना, जा उम्मीदों की उम्मीद बनना, खुद एतमादी खो चुके लोगों में खुद एतमाद पैदा करना और उन्हें अपने इंसानी बकार से मुतासिफ कराना था। इस्लाम का दूसरा समाजी एजेंडा या कि लोगों के खुदा बन बैठे मजबूत मगरूर लोगों का गुरूर तोड़ना और उन्हें इस वहम से फिर इंसान बनाना। ये मकसद फिर चाहे समझाने या बातचीत से हासिल हो या फिर ताकत से। मुसलमान होने के नाते हमारी ये भी जिम्मेदारी थी कि बिना किसी फर्क व इम्तियाज़ की पूरी नौए इंसानी को हक की दावत देना, उन्हें बुराईयों से रोकना और भलाईयों की तरफ मुतवज्जेह करना। अगर हमने यह जिम्मेदारी निभाई होती तो मुल्क में आज अजीब इंकलाब बरपा हो गया होता। आरेस हमसे ना हो सका माजी पर मलाल करना यह कोई मकसद नहीं है माजी से सबक लेकर सुनहरे मुस्तकबिल के लिए अज़म लेना ही सतह पर काम कर रहा है। नकसद है। इसके लिए राष्ट्रीय मुस्लिम मोर्चा जमीनी
राष्ट्रीय मुस्लिम मोर्चा यह बामसेफ एवं भारत मुक्ति मोर्चा का एक ऑफशूट विंग है। बामसेफ यह मजलूमों (SC, ST, OBC & Minority) का गैर सियासी राष्ट्रीय स्तर का समाजी संगठन है। ये समाजी संगठन मजलूमों में मसावात, इत्तेहाद और इंसाफ कायम हो इसकी लड़ाई लड़ता है। अतः सभी हज़रात, बुद्धजीवी नौजवान और बुजुर्गों से गुजारिश है कि राष्ट्रीय मुस्लिम मोर्चा के इस “दूसरे
राष्ट्रीय अधिवेशन” को कामयाब बनाने के लिए तन-मन-धन से शामिल होकर अपने बाशऊर होने का सबूत दें। भतदीय. -राष्ट्रीय मस्लिम मोर्चा केंद्रीय …