संपादकीय:- क्या राजनीतिक स्वार्थ देश की अस्मिता गरिमा से भी ऊपर हो गया है? या राजनीति को इंसानियत से ही कोई मतलब नहीं है ? पिछले 10 सालों में जितने बलात्कार और यौन शोषण के जघन्य अपराध सत्ताधारी पार्टी के समर्थकों द्वारा किए गए और सत्ता उन्हें बचाती हुई उजागर हुई उसके क्या माअऩी लगाए जाएँ ? क्या सत्ता पार्टी का चाल, चरित्र और चेहरा अब भी वही है जिसका वो दावा करती थी और विरोधियों को निशाना बनाती थी या ये के बलात्कारी , लुटेरे,हत्यारे,यौन शोषणवादी , अपराधी यदि भाजपा ज्वाइन कर लें तो वो चरित्रवान हो जाते हैं???
सवाल ये भी उठता है कि लुटेरे, अपराधी, बलात्कारी, शोषणवादी भाग जाएँ या भगाा दिए जाएँ और चौकीदार देखते रह जाए तो क्या चौकीदार भी अपराध समर्थक नहीं माना जाएगा? अगरचे मोदी की गारंटी का नारा दिया है तो क्या यही है विश्वगुरू मोदी की गारंटी है के जघन्य अपराधी चुपचाप निकल लें और चौकीदार मूकदर्शक बनकर अपराधी का साथ दे???
ैक्या गारंटी वाला सि$र्फ वर्ग विशेष की न$फरत और विरोध में ही विमुख से अमुख होता है और वोट जिहाद और भैंस पर भाषण देना जानता है? उसे देश की मर्यादा और उसकी गरिमा की चिंता क्यों नहीं है? मुसलमानों के $िखला$फ पी एम की हेट स्पीच पर विदेशों ने भी विरोध किया तो सैक्स स्कैंडल में फंसे उनके समर्थक के लिये क्या कोई प्रतिक्रिया नहीं आएगी या इससे देश मान बढ़ेगा मोदी की गारंटी के साथ??
इसी को लेकर सोशल मीडिया पर ऐसी प्रतिक्रियाओं को आना स्वाभाविक है:-
जो रेवन्ना ने किया वो सेक्स स्कैंडल नहीं ‘मास रेप’ है!
कर्नाटक में स्टेज से प्रधानमंत्री उस मास रेपिस्ट का समर्थन कर रहे थे, उसके लिए वोट मांग रहे थे।
नरेंद्र मोदी, अमित शाह और क्चछ्वक्क के हर नेता को इस पाप के लिए देश की हर महिला से हाथ जोड़ कर, सिर झुका कर माफी मांगनी चाहिए।
मास रेपिस्ट को हिंदुस्तान से भागने देंगे – क्या ये है मोदी की गारंटी!?
काँग्रेसी नेता राहुल गाँधी ने अपने पेज पर लिखा:-
कर्नाटक में महिलाओं के साथ हुए वीभत्स अपराध पर भी नरेन्द्र मोदी ने हमेशा की तरह शर्मनाक चुप्पी साध ली है।
प्रधानमंत्री को जवाब देना होगा।़
सब कुछ जान कर भी सि$र्फ वोटों के लिए उन्होंने सैकड़ों बेटियों का शोषण करने वाले हैवान का प्रचार क्यों किया???
आ$िखर इतना बड़ा अपराधी बड़ी सहूलियत के साथ देश से फरार कैसे हो गया??
कैसरगंज से कर्नाटक और उन्नाव से उत्तराखण्ड तक, बेटियों के गुनाहगारों को प्रधानमंत्री का मूक समर्थन देश भर में अपराधियों के हौसले बुलंद कर रहा है।़
क्या मोदी के *राजनीतिक परिवार * का हिस्सा होना अपराधियों के लिए सुरक्षा की गारंटी है????
…………सही कहा राहुल ने इस तरह बलात्कारी लुटेरों व जघन्य अपराधियों का इतने आराम से निकल जाना देश की सुरक्षा व्यस्था पर प्रश्रचिंन्ह लगाता है हालांकि स्पष्ट है कि निकलना आसान नहीं है तो फिर निकाला लाता है क्यों निकाला जाता है ??? तो इसमें संदेह ये होता है कि यदि अपराध में औरों की तरह वो अकेला होता है तो उसे बचाया ता सकता है लेकिन जघन्य अपराध में उसके साथ शीर्ष नेताओं का भांडाफोड़ हो सकता हो ,पार्टी के बड़े बड़े नेता लपेटे में आ रहे हों तो शायद उसे भाग जाने की आसानी दे दी जाती है और पार्टी और शीर्ष नेताओं की छवि को बचाने का प्रयास किया जाता हो??? लेकिन फिर भी चाल , चरित्र और चेहरा अंतत: उजागर होता ही जा रहा है। वो इस तरह के अक्सर बलात्कारी और देश का धन लूटकर भागने वाले अधिकतर भाजपाई ही क्यों हैं? अब लोग कहने लगे हैं कि माना कि सारे भाजपाई बलात्कारी नहीं होते बल्कि बेटी बचाओ का नारा लगाते हैं लेकिन जो बलात्कारी पकड़े जाते हैं वो अधिकतर भाजपाई अथवा भाजपा गठबंधन से जुड़े ही क्यों होते है?
इसमें विपक्ष का भी बराबरी का दोष है क्योंकि विपक्ष की डील के कारण ही सत्ता पक्ष बेपरवाह हो जता है। जब काँग्रेस सत्ता में थी तो भाजपा मज़बूत विपक्ष थी उसकी किसी अनैतिक या हानिकारक बात पर भाजपा न सि$र्फ मुखर और प्रेसर से काम लेती बल्कि निर्भया कांड विरोध की तरह उसके लिये पूरा संघर्ष करती , अब काँग्रेस विपक्ष में है तो वो बयान देकर $फोटो खिंचवाकर काम चलाती है हाँ चुनाव से थोड़ा पहले मुखर होकर दिखाया जाता है कि हम विरोध कर रहे हैं विरोध बराए विरोध ???
काँग्रेस ने ई वी एम का भी उतरा प्रखर विरोध नहीं किया जितना करना चाहिये क्योंकि चोर की दाढ़ी में तिनका । ई वी एम लेकर कौन आया? उसका 2-3 चुनावों में $फायदा किसने उठाया , इसी तरह जब काँग्रेस सत्ता में थी तब पूंजीपतियों को कितना $फायदा देती थी, कई बदमाशों और कई बलात्कारियों को भी संरक्षण दिया , कई काँग्रेसी नेताओं के चरित्र उजागर हुए शायद इसीलिए प्रखर और उग्र विरोध नहीं करती काँग्रेस और उसके गठबंधन की पार्टियाँ …….तो क्या हम्माम में सब नंगे हैं???
देश में अभी संविधान जिं़दा है , न्यायप्रिय लोग भी हैं , ऐसे संगठन भी हैं जो बलात्कारियों , भ्रष्टाचारियों को सख़्त सज़ा चाहते हैं , ऐसे न्यायाधीष भी हैं जो सबूत मिलने पर निष्पक्ष न्याय करते हैं इसीलिये आशा की जाती है कि रैपिस्ट रैवन्या हो या लुटेरा भगोड़ा माल्या एक न एक दिन इन्हें काऩून के शिकंजे में जकड़ा जाना ज़रूरी है ताकि देश के मान , मर्यादा, संविधान और संस्कृति पर दा$ग न लगे और हमारा देश विश्वगुरू ही बना रहे ।़