देश के असल हीरो यह 12 मजदूर है, 41 मजदूर पिछले 17 दिनों से टनल में फंसे थे!
सारी मशीनें व Experts हार मान चुके थे! तभी दिल्ली से मुन्ना कुरैशी की टीम आई, जिसमे 12 लोग थे!1) वकील खान 2) मुन्ना कुरैशी 3) फ़िरोज़
4) मोनू 5) नसीम 6) इरशाद
7) अंकुर 8) राशिद 9) जतिन
10) नासिर 11) सौरभ 12) देवेन्द्र
इन सभी ने मामूली सी संसाधनों से 15 मीटर सुरंग को मात्र 26 घंटे में खोद दिया और फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाई!
देश के असल हीरो यह 12 मजदूर है, जिनका नाम बड़े बड़े न्यूज़ चैनल पर बताया ही नही जा रहा है!
* उत्तराखंड सुरंग बचाव*
जहाँ तक मुझे पता है, अर्नोल्ड डिक्स ने हार मान ली थी। उन्होंने कहा था कि इसमें क्रिसमस तक का समय लगेगा. तभी स्थानीय कर्मचारी वकील खान और मुन्ना कुरेशी प्रवेश करते हैं, और मैन्युअल रूप से ड्रिलिंग शुरू करते हैं… और उन्हें सफलता मिलती है।आज पूरा भारत वकिल खान ओर मुना कुरेशी को सलाम पैश करता है।।
* मशीनों पर भारी पड़ी इंसानी मेहनत…*
सुरंग को भेदने की मशीनी ताकत ख़त्म हुई तो वकील खान – मुन्ना कुरैशी की जोड़ी ने संभाली कमान… टीम वर्क काम आया और बच गई 41 जिन्दगियां
उत्तरकाशी में वो जंग जीती गई है, जहां मशीन नहीं बल्कि मानव ने जीत दिलाई। यहां सुरंग को भेदने में मशीनी ताकत खत्म हो गई, फिर मानव का साहस काम आया है. सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. अमेरिका से आई ऑगर मशीन के टूट जाने के बाद रैट माइनर्स ने बचे हुए मलबे को खोदकर बाहर निकाला और मंगलवार देर शाम को सभी मजदूरों को पाइप के जरिए सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
17 दिनों के बाद सुरंग में फंसे सभी 41 निर्माण मजूदरों को सफलतापूर्वक बाहर निकाला गया, वैश्विक मीडिया ने रेस्क्यू ऑपरेशन की सराहना की। @BBCHindi ने ऑपरेशन का अपडेट जारी करते हुए कहा, “सुरंग के बाहर, पहले व्यक्ति के सुरंग से बाहर आने की खबर पर जश्न मनाया जा रहा है.”
सुरंग में ‘मसीहा’ बनकर मुन्ना क़ुरैशी- वकील की जोड़ी…
कौन हैं यह शख्स जो #Twitter पर ट्रेड हुआ…
मुन्ना कुरैशी दिल्ली 94 खजूरी खास के राजीव चौक के रहने वाले हैं। इनकी खुद की कंपनी है, जो पहाड़ी इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन का काम करती है। रैट माइनर्स मुन्ना क़ुरैशी अपनी 12 लोगों की टीम के साथ सिलक्यारा टनल पर आए थे।
बीते 17 दिन की तमाम कोशिशों के बाद मुन्ना कुरैशी और उनकी टीम श्रमिकों के लिए मानों आखिरी उम्मीद थे। खुशी इस बात की है कि ये उम्मीद पर खरे उतरे। मुन्ना- वकील ने अपनी टीम को लीड किया और रात सात-आठ बजे के आस-पास एक-एक सारे 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाला।