अमित जी
आपका कहना है नशे के खिलाफ आंदोलन चल रहा था ,किंतु क्या संपादकीय जेसे विद्वान व्यक्ति यहां नहीं जानता की चक्का जाम बजरंग दल के कार्यकर्ताओं पर हुई f.i.r. के खिलाफ चल रहा था
दूसरा आपने लिखा जाम लग गया साहब जाम लगा नहीं जाम लगाया गया औरत बच्चे बूढ़े सब उस जाम में फस कर बिलख रहे थे पानी के लिए भी परेशान हो रहे थे बजरंग दल ने लगाया
अराजकता के खिलाफ हुआ लाठीचार्ज 15 जून को इंदौर में हुए लाठीचार्ज पर दैनिक भास्कर के स्थानीय संपादक अमित मंडलोई ने जो लिखा है उसका उत्तर प्रस्तुत है
अमित जी आगे आप लिखते हैं जाम से त्रस्त लोगों ने बीच में घुसने की कोशिश कि , नहीं साहब कुछ मजबूर परेशान लोग अपनी मंजिल पर जाना चाहते थे और वह निकल रहे थे तब आपके प्रिय जनों ने उनकी पिटाई कर दी जिसके बाद पुलिस ने आमजन की सुरक्षा को लेकर और अराजकता खत्म करने के लिए लाठीचार्ज किया गया
जिसके बाद आपके प्री बजरंगी के लिए आप लिखते हैं कार्यकर्ताओं ने पत्थर उछाले साहब पत्थर नहीं उछाले अमित जी पथराव किया आम जनता पर पथराव किया कितनों को चोट आई है वहां पर या 56 दुकान पर देखकर पूछ सकते हैं
फिर आप लिखते हैं लोगों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा नहीं साहब किसी भी आम आदमी को नहीं पीता केवल उन लोगों को पीटा जो बजरंग दल के कार्यकर्ता थे और रोड जाम करके शहर को तहस-नहस कर रहे थे
जिसके बाद आप लिखते हैं अफसर नहीं आए जबकि वहां एसीपी खुद मौजूद थे
जिसके बाद आप लिखते हैं गिरफ्तार कार्यकर्ताओं से मिलने पहुंचे और इंदौर शहर सहन नहीं करेगा
अराजकता
अमित जी आप अराजकता करने वालों का समर्थन कर रहे हैं और लिख रहे हैं अराजकता सहन नहीं होगी
स्वयं विचार कीजिए अपने शब्दों पर एक जिम्मेदार संपादक होने का परिचय दें भास्कर से भी निवेदन है एक जिम्मेदार लोकतंत्र के स्तंभ होने का परिचय दें ना की अराजकता करने वालों का समर्थन🙏🙏 इंदौरी