6 दिसम्बर 1992 शाम 4 बजे भारतीय वज़ीरे आज़म पी वी नरसिम्हाराव ( कांग्रेस ) और ग्रह मंत्री शंकर राव चव्हाण ( कांग्रेस ) के दौर में बाबरी मस्जिद को शहीद कर दिया गया।
बाबरी मस्जिद को प्रथम मुग़ल सम्राट बाबर के आदेश पर 1527 में इस मस्जिद का निर्माण किया गया था, मीर बाकी ने 1527 में निर्माण कराया था।
कहते हैं अयोध्या में राम जन्मे, वहीं खेले-कूदे .. बड़े हुए, बनवास भेजे गए, लौट कर आए तो वहां राज भी किया, उनकी जिंदगी के हर पल को याद करने के लिए एक मंदिर बनाया गया, जहां खेले, वहां गुलेला मंदिर है, जहां पढ़ाई की वहां वशिष्ठ मंदिर हैं । जहां बैठकर राज किया वहां मंदिर है । जहां खाना खाया वहां सीता रसोई है। जहां भरत रहे वहां मंदिर है। हनुमान मंदिर , कोप भवन है। सुमित्रा मंदिर और दशरथ भवन है। ऐसे बीसीयों मंदिर हैं। और इन सबकी उम्र 400-500 साल है। यानी ये मंदिर तब बने जब हिंदोस्तान पर मुगल या मुसलमानों का राज रहा।
अजीब है न! कैसे बनने दिए होंगे मुसलमानों ने ये मंदिर! उन्हें तो मंदिर तोड़ने के लिए याद किया जाता है। उनके रहते एक पूरा शहर मंदिरों में तब्दील होता रहा और उन्होंने कुछ नहीं किया ! कैसे अताताई थे वे, जो मंदिरों के लिए जमीन दे रहे थे। शायद वे लोग झूठे होंगे जो बताते हैं कि जहां गुलेला मंदिर बनना था उसके लिए जमीन मुसलमान शासकों ने ही दी। दिगंबर अखाड़े में रखा वह दस्तावेज भी गलत ही होगा जिसमें लिखा है कि मुसलमान राजाओं ने मंदिरों के बनाने के लिए 500 बीघा जमीन दी। निर्मोही अखाड़े के लिए नवाब सिराजुदौला के जमीन देने की बात भी सच नहीं ही होगी, सच तो बस बाबर है और उसकी बनवाई बाबरी मस्जिद।
अब तो तुलसी भी गलत लगने लगे हैं जो 1511 के आसपास ही जन्मे थे। लोग कहते हैं कि 1528 में ही बाबर ने राम मंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद बनवाई। तुलसी दास ने तो देखा या सुना होगा उस बात को। बाबर राम के जन्म स्थल को तोड़ रहा था और तुलसी लिख रहे थे मांग के खाइबो मसीत में सोइबो। और फिर उन्होंने रामायण लिख डाली।राम मंदिर के टूटने का और बाबरी मस्जिद बनने का क्या तुलसी दास को ज़रा भी अफसोस न रहा होगा! कहीं लिखा क्यों नहीं!🍂
“खैर एक कहावत सुनी थी जिसकी लाठी उसकी भैंस”
1984 में, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने मस्जिद के तालो को खुलवाने के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू किया और 1985 में ( कांग्रेस ) राजीव गांधी की सरकार ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद का ताला खोल देने का आदेश दिया।
6 दिसम्बर 1992 शाम 4 बजे भारतीय वज़ीरे आज़म पी वी नरसिम्हाराव और ग्रह मंत्री शंकर राव चव्हाण के दौर में बाबरी मस्जिद को शहीद कर दिया गया। ( हमारा इतिहास ) GROUP BY ( अलतमश रज़ा खान )
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