Ibraaheem Qureshi S Indore:—
हर मोहल्ले के सभी नौजवानों बुजुर्गों से अपील करते हैं जैसे आप लोगों ने चंदा इक_ा कर के अपने मोहल्ले के नाम से ताजिया बनाएँ हज़ारों लाखों रुपए खर्च किए हैं।
अब एक काम करें इसी जोश और जज़्बे के साथ अपने अपने मस्जिद में या मदरसा में या मोहल्ला में चंदा इक_ा कर के एक कोचिंग शुरू कर दें जो मस्जिद की ख़ाली पड़ी हुई जगह जैसे मस्जिद की छत पे या किसी और ख़ाली जगह में शुरू की जा सकती है।
या आस पास के अलग अलग 10-20 मस्जिद कमिटी के साथ मिल कर के 1 स्कूल खोल दें, दिन में स्कूल और शाम में उसी स्कूल में कोचिंग शुरू कर दें।
अपनी अपनी मस्जिद कमिटी से अच्छे से बात कर के एक मस्जिद तालीमी फण्ड का डब्बा अपने अपने मस्जिद में रख दें, इसकी फिक़र बिलकुल न करें के चंदा नहीं आएगा, जिनको चंदा देना होगा देंगे जिनको नहीं देना होगा नहीं देंगे लेकिन अल्लाह से अच्छी उम्मीद रख के रू्रस्छ्वढ्ढष्ठ श्वष्ठष्ट्रञ्जढ्ढह्रहृ स्नहृष्ठ के नाम से डोनेशन बॉक्स ज़रूर रखें।
उस पैसे को सिर्फ़ तालीम पर खर्च करें, बहुत से जगह में लोग शुरू किए हैं बहुत अच्छा रिज़ल्ट है माशा अल्लाह।
बाद में अगर पैसा ज़्यादा आएगा तो आप बेवाओं यतीमों में पे भी खर्च कर सकते हैं।
मस्जिद तालीमी फण्ड से या तो टीचर की सैलरी दे दें, अगर किसी वजह से मस्जिद की छत पर कोचिंग शुरू करने की इजाज़त नहीं मिलती है तो मोहल्ले के किसी दुकान/घर/ ऑफिस में कोचिंग शुरू कर दें,
अगर किराया का इंतज़ाम भी नहीं कर सकते हैं तो इमामबाड़ा या ईदगाह की ख़ाली पड़ी हुई जगह जो अब 1 साल अगले मोहर्रम तक के लिए ख़ाली रहेगी वहाँ ही एक कमरा बना कर कोचिंग शुरू कर दें।
जैसे भी हो मस्जिद कमिटी या मोहल्ला कमिटी एक फ्री या मामूली फ़ीस वाली कोचिंग सेंटर ज़रूर शुरू करें।
हर मस्जिद या मोहल्ला कमिटी का एक फ्री कोचिंग सेंटर होना ही चाहिए आप को अपने मोहल्ले की तालीम का ख़्याल ख़ुद रखना होगा कोई दूसरा मदद को नहीं आएगा।
अगर हर कोशिश करने के बाद भी किसी वजह से कोचिंग शुरू नहीं कर सकते फिर भी मस्जिद या मोहल्ला तालीमी फण्ड ज़रूर क़ायम करें, हर जुमा या हर महीने पैसे कलेक्शन का सिस्टम रखें, और उस पैसे से गऱीब ज़रूरतमंद तेज़ बच्चे की स्कूल/कॉलेज या कोचिंग की फ़ीस दे दे बस इतना करें।
अलहमदोलील्लाह बहुत से अलग अलग शहरों में मस्जिद मदरसा कमिटी इस काम को कर रही है और लोग मदद कर रहे हैं।
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और भी बहुत सी मस्जिदें है जो बहुत बेहतर तरीक़े से काम कर रही हैं और अपने मोहल्ले का ख़्याल रखती हैं।
बहुत से मोहल्ला कमिटी कोचिंग शुरू करने की कोशिश करते हैं लेकिन कुछ वक़्त बाद फेल हो जाते हैं कियूँकि वो अपने काम को मोहल्ले के सारे अवाम तक नहीं पहुँचा पाते हैं, इस वजह से मस्जिद के साथ मिल कर करने में कामयाबी ज़्यादा मिलती है।
मंथली हिसाब प्रोग्रेस रिपोर्ट ज़रूर दें जिससे अवाम मंथली डोनेशन दे पाए।
बेहतर होगा के महीने का हिसाब हर महीने ख़ुतबा के बाद पढ़ के सुना दिया जाए।
अल्लाह उस क़ौम की हालात नहीं बदलता
जब तक वो वो ख़ुद न बदले।
अल्लाह हर मस्जिद कमिटी हर मोहल्ला कमिटी के लोगों को नस्लों के हक़ में बेहतर फ़ैसले लेने की तौफ़ीक़ अता फऱमाए।
ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें और हर मस्जिद कमिटी/हर मोहर्रम कमिटी/हर मोहल्ला कमिटी तक इस मेसेज को पहुँचाएँ हो सकता है किसी के दिल में बात उतर जाए।
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