आज देश में चारों और
नफऱत का माहौलहै,
जिधर देखो हर एक केवल
नफऱत की भाषा बोल रहा
है,देश के सत्ता पर बैठे लोग
नफऱत का पोषण कर रहे है आखिर कब तक और कहां तक नफऱत फैलाई जाएगी?
नफऱत आखिर कब तक?
क्या यही ज़रिया है बुलंदी तक पहुंचने का?
इस बुलंदी से नजऱ आते
है तुम्हें,उजड़े हुए घर, वीरान गलीयां,
बिलकते हुए बच्चे,
सिसकती हुई मां।
कहां से आई यह नफऱत?
कहां से भर गया इतना ज़हर?
चारों तरफ़ वहशत,ख़ून,
आखिर कब तक?
तुम्हें याद नहीं तुम पर
पडऩे वाली पहली नजऱ
अथाह प्यार लिए तुम्हें
निहार रही थी,
ममता की वह मूरत तुम्हें
याद नहीं,
जो भी देखता था उसके पास सिर्फ प्यार था,
तुम पर पडऩे वाली हर
नजऱ न्यौछावर हो रही थी
फिर तुम में इतनी नफऱत
कहां से आई?
कितनी मांऐं अपने बच्चों
से जुदा होकर,
कितने ही बच्चे अपनी
मांओं से बिछड़ कर,
आज सिर्फ़ बद दुआ करते
है।
तुम जैसे धर्म के ठेकेदारों के लिए,
अगर बचाना चाहते हो
अपनी तहज़ीब अपना
वतन?
तो ख़त्म करो इस मक्रो
फऱैब की सियासत को
और बढ़ो प्यार लेकर
लगा लो गले उन परेशां
हालों को,
जो बेक़सूर अब तक
तुम्हारे लिए,
बुलन्दी तक पहुंचने का
ज़रिया बनते आएहै।
अ: हकीम क़ुरैशी
9827558261