-नई दिल्ली /रापप्र/डॉ. शे$ख अ़ब्दुल्लाह की विशेष रिपोर्ट:-
अल्लाह /सर्वशक्तिमान/ की प्रशंसा से प्रारंभ करते हुए इंजीनियर मोहम्मद सलीम साहब ने कहा ईश्वर की कृपा और शांति हो उन सभी ईशदूतों और पै$गम्बरों पर जिनहोंने ईश्वर के आगे संपूर्ण समर्पण का संदेश और मार्गदर्शन दिया।
$फरमाया-परम आदर्णीय राष्ट्रपति महोदया ।़ आज के इस अतिसुंदर और गरिमामय कार्यक्रम के आयोजक प्रजापिता ब्रम्हकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के पदाधिकारी, बहनों एवं भाइयों ।़ मंच पर उपस्थित आदर्णी धर्म गुरूओं , सभागार में मौजूद बहनों एवं भाइयों,राष्ट्रपतिभवन के अधिकारीगणें, आप सभी को मेरा सलाम व आदाब।़
आप सब पर ईश्वर की विशेष कृपा और आशीर्वाद हो। आज के इस सुंदर कार्यक्रम का हिस्सा बनने पर मै अत्यंत $खुशी और गर्व महसूस करते हुए ईश्वर का शुक्रिया अदा करता हूँ।
उन्होंने कहा कि इस सच्चाई को सब धर्मों और आस्थाओं के लोग स्वीकार करते हैं के धरती पर जितने इंसान मौजूद हैं वो सब एक ही माँै बाप की संतान है। यानी आदम और हव्वा की संतान हैं। हम सब की रगों में एक ही माँ-बाप का $खून बह रहा है। ईश्वर के सभी पै$गम्बरों ने और अंतिम पै$गम्बर हज़रत मोहम्मद स्वल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने ईश्वर के इस संदेश को आम किया के तमाम,इंसान बराबर हैं, कोई बड़ा ओर कोई छोटा , कोई ऊँचा और कोई नीचा नहीं है। हर इंसान की इज़्ज़त और उसका सम्मान होना चाहिये । हर मानव की गरिमाकी रक्षा की जानी चाहिये । धर्म , जाति, लिंग, भाषा ,क्षेत्र या विचारधारा किसी भी आधार पर किसी के अधिकार कम या ज्य़ादा नहीं हो सकते। किसी के साथ भी भेदभाव न हो , यह समाज को और व्यवस्था को मिलकर सुनिश्चित करना चाहिये।
हज़रत मोहम्मद साहबन ने $फरमाया:-अल $खल्कु अयालुल्लाह।़ …..यानी ये सारी सृष्टि और ये सारे प्राणी, ईश्वर का एक परिवार और कुनबा और खाऩदान हैं। इसी तरह कहा गया:-वसुदेव कुटुंबकम* ….ये हमारे देश की सांस्कृतिक बुनियाद को बयान करने वाला वाक्य है। मानवीय इस सृष्टि में ईश्वर का प्रतिनिधि है। हमारा समाज विविधताओं वाला समाज है। हमारे देश की बड़ी आबादी किसी न किसी धर्म या विचारधारा एवं जीवन व्यवस्था में विश्वास करती है । हमारे संविधान में ये सुनिश्चित किया गया है के हर नागरिक अपनी पसंद का धर्म , आस्था, या विचारधारा, अपनाने के लिये पूरी तरह स्वतंत्र हो।
धर्म इंसानों को आपस में जोड़ता है। इंसानों को बांटने वाला , उनको ऊँचा या नीचा बताने वाला धर्म हो ही नहीं सकता। समाज में घृणा हिंसा और लोगों के बीच अविश्वास सच्चे धार्मिक लोगों की वजह से नहीं है बल्कि धर्म का दुरूपयोग करने वाले कुछ स्वार्थी एवं समाज विरोधी लोगों की वजह से है।
मै इस्लाम धर्म में विश्वास करता हूँ और यहाँ उसका प्रतिनिधित्व कर रहा हूँ। मै आपसे निवेदन करना चाहता हूँ के इस्लाम शब्द का अर्थ है ईश्वर के आगे संपूर्ण समर्पण, इसका एक अर्थ शांति है क्योंकि अपने सृष्टा के आगे समर्पण से ही इंसान के मन में शांति और इस धरती पर न्याय और शांति की स्थापना हो सकती है। न्याय की स्थापना ही वास्तव में धर्म की स्थापना है और यही शांति की असल स्थापना की बुनियाद है। धर्म हमको अपने सृष्टा का परिचय कराता है, हमें उससे जोड़ता है। सच्चा धार्मिक व्यक्ति ईश्वर से प्रेम करता है इंसानों से प्रेम करता है उनका सम्मान करता है। और उनकी सेवा करता है । धर्म व्यक्ति को अनुशासित करता है। धर्म हमको इस बात की शिक्षा देता है कि हम………..हम अन्याय और अत्याचार से पीडि़त और कमज़ोर लोगों चाहे वो किसी भी धर्म के मानने वाले हों, उनके साथ खड़े हों। उनकी मदद और सेवा के लिए आगे आएँ । उनको समाज में सम्मान दिलाने का प्रयास करें।
आज इस बात की आवश्यकता है के विभिन्न धर्मावलंबियों में और धर्मगुरूओं में मेल जोल बढऩा चाहिये। उनके बीच संवाद मज़बूत हो। समाज में नैतिक मूल्यों को स्थापित करने के लिये हम सब धर्मगुरूओं को मिलकर प्रयास करना चाहिये। हम सभी धर्मों के धर्मगुरूओं को इस महत्वपूर्ण काम में पहल करके साथ मिलकर समाज में जागृति लाने आपसी सदभाव और विश्वास को मज़बूत करने का यह पवित्र कार्य करना चाहिये। और हम लोग यह कार्य कर भी रहे हैं लेकिन इस कार्य को और अधिक सक्रियता से करने की आवश्यकता है ।
मै ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ के वो हम सबको देश और समाज के प्रति अपना दायित्व पूरा करने की प्रेरणा और शक्ति प्रदान करे ताकि हम सब मिलकर शांति पर आधारित और नैतिक मूल्यों पर आधारित और न्याय पर आधारित , एक समाज का निर्माण कर सकें। ़ और भारत को प्रगति और समृद्धि की राहों पर आगे ले जा सकें।
मै इसी के साथ ईश्वर की $कृपा और प्रशांसा और राष्ट्रपति महोदया का धन्यावाद करते हुए अपनी बात समाप्त करता हूँ । शुक्रिया ।़
राष्ट्रपति भवन में इस्लाम के पैगा़म को पेश किया . जमाते इस्लामी हिन्द के नायब अमीर जनाब इंजीनियर मोहम्मद सलीम साहब ने
24