एकता एक सामरिक, संघटित और परस्पर सहयोगपूर्ण राष्ट्रीय भावना है जो हर समाज और देश के लिए महत्वपूर्ण है। एकता न केवल राष्ट्रीय एकता और समरसता का माध्यम है, बल्कि यह समाज को सशक्त, स्थिर और विकासशील बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
हाल के समय में, हमारे समाज में बहुभाषी, बहुधर्मी, बहुसंस्कृतिक और भौगोलिक विविधता की अधिकता है। इस प्रकार की विविधता नई सोच, नई विचारधारा और नए परिप्रेक्ष्य के साथ आती है, लेकिन इसके साथ ही यह चुनौतियां भी पैदा करती है। यदि हम इस विविधता को अपनाने और सम्मिलित करने की क्षमता नहीं बना सकते हैं, तो इसका परिणाम हमारे समाज की तोड़ दे सकता है।
एकता की आवश्यकता हमारे राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण है। एक विभाजित और विवादास्पद समाज राष्ट्रीय उद्यम, विकास और प्रगति को अवरुद्ध कर सकता है। एकता के बिना, हमारी संघर्षों की प्रगति स्थगित हो सकती है और हमारी राष्ट्रीय गतिशीलता प्रभावित हो सकती है।
एकता के बादल में, राष्ट्रीयता एक महत्वपूर्ण तत्व है जो हमें सभी विभाजनों के पार ले जाने की क्षमता देता है। इसका अर्थ है कि हमें अपने राष्ट्रीय आदर्शों, संविधान, और समरसता के मूल्यों को गहराई से समझना और अपनाना चाहिए। हमें समानता, विचारधारा, और साझा वाला भारतीय विचारधारा बनानी चाहिए, जिससे हम सभी विभाजनों को पार कर सकें और विकास के साथ एकजुट रह सकें।
एकता एक सामरिक, संघटित और विकासशील समाज की नींव है। यह हमें एक एकत्रित राष्ट्रीय उद्यम के रूप में काम करने की क्षमता प्रदान करती है और हमें अधिकार, न्याय और समरसता की गारंटी देती है। इसलिए, हमारे राष्ट्रीय और सामाजिक स्तर पर हमेशा एकता को मजबूत करने के लिए सामरिकता, सहयोग और समरसता के बिना कोई विकास संभव नहीं है।